मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में: उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होगा ऐतिहासिक
मध्यप्रदेश के गौरव, सिंहस्थ महापर्व 2028 को अविस्मरणीय और ऐतिहासिक बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में उज्जैन में युद्धस्तर पर अधोसंरचना विकास कार्य किए जा रहे हैं। ये निर्माण कार्य न केवल सिंहस्थ की भव्यता को बढ़ाएंगे, बल्कि उज्जैन को एक विश्वस्तरीय धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में मुख्यमंत्री की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाते हैं।
सिंहस्थ महापर्व 2028 के लिए ₹25 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को लागू करना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रशासनिक दक्षता और उज्जैन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नदी शुद्धिकरण जैसी प्रमुख और महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करना, तथा विभिन्न केंद्रीय और राज्य स्तरीय विभागों को एक साथ लाकर 166 कार्यों की प्रगति सुनिश्चित करना, उनके 2 वर्ष के कार्यकाल की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह वृहद विकास कार्य उज्जैन को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक विश्वस्तरीय नगर के रूप में स्थापित करेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में, सिंहस्थ महापर्व को भव्यता और आधुनिकता का प्रतीक बनाने के लिए उज्जैन में ₹25,166.69 करोड़ की अनुमानित लागत से कुल 166 अधोसंरचना विकास कार्यों को स्वीकृत या प्रगतिरत किया गया है। ये निर्माण कार्य न केवल सिंहस्थ की तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करेंगे, बल्कि उज्जैन की दीर्घकालिक विकास की नींव रखेंगे, जो मुख्यमंत्री डॉ.यादव की दूरगामी उपलब्धि है।
उज्जैन,कालजयी नगरी, संस्कृति और विकास का संगम,भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी, उज्जैन—जिसे प्राचीन काल में अवंतिका, उज्जयिनी, और कनकश्रृंगा जैसे नामों से जाना जाता था—का इतिहास सहस्राब्दियों पुराना है। यह नगरी सप्तपुरियों में से एक है, जिसे मोक्षदायिनी कहा जाता है।
राजा विक्रमादित्य की राजधानी रही यह भूमि, शून्य और पंचांग की गणना का केंद्र थी। महाकवि कालिदास ने यहीं मेघदूत की रचना की, और महर्षि सांदीपनि के आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की। उज्जैन केवल धर्म का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय खगोल विज्ञान और गणित का भी ध्रुव केंद्र रहा है।
इस कालजयी नगरी में प्रत्येक 12 वर्ष में पुण्य सलिला शिप्रा के तट पर सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है, जो पृथ्वी पर सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक है।
सिंहस्थ का इतिहास
सिंहस्थ नाम, ज्योतिषीय गणना पर आधारित है। जब बृहस्पति (गुरु) ग्रह सिंह राशि पर और सूर्य मेष राशि पर विराजमान होते हैं, तब उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार सिंहस्थ का मूल समुद्र मंथन से जुड़ा है। मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर देवताओं और दानवों में छीना-झपटी हुई थी। इस दौरान अमृत की कुछ बूँदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं—हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक, और उज्जैन। उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर यह पवित्र बूँदें गिरने से यह स्थान मोक्षदायक बन गया।
सिंहस्थ का महत्व अनादि काल से है क्योंकि यह पर्व साधु-संतों के 13 अखाड़ों के शाही स्नान, वैचारिक कुंभ (ज्ञान चर्चा) और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। यह पर्व केवल स्नान नहीं, बल्कि धर्म, दर्शन, और समन्वय का विराट अनुष्ठान है, जो विश्व को भारतीय संस्कृति के समावेशी स्वरूप का दर्शन कराता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दो वर्ष के कार्यकाल की सिंहस्थ की संकल्पना
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में पिछले दो वर्षों से उज्जैन के विकास को एक नई और महत्वाकांक्षी दिशा मिली है। चूंकि डॉ. यादव स्वयं उज्जैन से हैं, इसलिए इस नगरी के विकास की संकल्पना उनके लिए केवल राजनीतिक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत प्रतिबद्धता है। उनका कार्यकाल उज्जैन को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गठित मंत्रि-मंडलीय समिति ने सिंहस्थ महापर्व के लिए बड़े पैमाने पर विकास कार्यों को मंजूरी दी है। इस समिति के गठन,दिनांक 06.06.2024,के बाद से, सिंहस्थ की तैयारियों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की गई हैं।
मंत्रि-मंडलीय समिति से प्रारंभिक चरण में कुल 102 अधोसंरचना विकास कार्यों की अनुशंसा की गई, जिनकी कुल लागत 9,193.3 करोड़ रुपये है। वर्तमान में सिंहस्थ 2028 के लिए विभिन्न विभागों के तहत कुल 166 कार्य स्वीकृत/प्रगतिरत हैं, जिनकी कुल अनुमानित लागत 25,166.69 करोड़ रुपये है। यह विशाल निवेश मुख्यमंत्री की सिंहस्थ को ऐतिहासिक स्वरूप देने की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है।
सिंहस्थ के लिए बुनियादी ढांचे में प्रमुख निर्माण कार्य के विकास कार्यों में सड़क, जल संसाधन, नगरीय विकास और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
जल संसाधन और नदी शुद्धिकरण की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।क्षिप्रा नदी की शुद्धता सिंहस्थ का आधार है। इसके लिए घाट निर्माण और संबद्ध कान्ह क्लोज्ड डक्ट परियोजना का कार्य 778.91 करोड़ रुपये की लागत से प्रगति पर है। इस परियोजना की भौतिक प्रगति 34.80% है और पूर्णता तिथि 14.09.2027 लक्षित है।
सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना में 614.53 करोड़ रुपये की लागत से कार्य प्रगतिरत है। इसके साथ ही बैराज निर्माण में जल संरक्षण और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कान्ह नदी पर 5 बैराजों (27.95 करोड़ रुपये) और क्षिप्रा नदी पर 1 बैराज (8.71 करोड़ रुपये) का निर्माण प्रस्तावित है।
सिंहस्थ में सड़क और कनेक्टिविटी के अंतर्गत मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट विभाग द्वारा 8 कार्यों के लिए 10,109 करोड़ रुपये का बड़ा प्रावधान किया गया है।राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) 3 कार्यों पर 5,762 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं लोक निर्माण विभाग की ओर से 17 कार्यों पर 998.28 करोड़ रुपये और सेतु संभाग द्वारा 19 कार्यों पर 498.44 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सिंहस्थ पर्व के लिए नगरीय विकास और सुरक्षा के तहत नगरीय विकास एवं आवास विभाग के 21 कार्यों के लिए 1,575.3 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।नगर पालिक निगम उज्जैन के 36 कार्यों पर 1,947.95 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य कर रहा है।
इसी तरह गृह विभाग के अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्था के लिए 37 कार्यों पर 764.52 करोड़ रुपये खर्च किए।
महाकाल लोक का विस्तार और भव्यता
प्रथम चरण में महाकाल लोक के लोकार्पण ने उज्जैन की छवि को बदल दिया। द्वितीय चरण में डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में महाकाल लोक विस्तार परियोजना को तीव्रता से आगे बढ़ाया गया है। इसमें भूमिगत पार्किंग, पर्यटक सुविधा केंद्र, और शिप्रा नदी की ओर कॉरिडोर का निर्माण शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि,सिंहस्थ 2028 तक महाकाल परिसर को ऐसा बनाना, जहाँ एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को विश्व-स्तरीय सुविधाएं मिल सकें।
इंफ्रास्ट्रक्चर का अभूतपूर्व उन्नयन
सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए, शहर की आधारभूत संरचना को स्थायी मजबूती दी जा रही है, इसके अन्तर्गत शामिल है: ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर और सड़कों का जाल: इंदौर-उज्जैन सिक्स-लेन एक्सप्रेसवे (प्रगति पर), देवास-उज्जैन मार्ग का चौड़ीकरण, और शहर के भीतर नए रिंग रोड और बायपास का निर्माण प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। यह कार्य यातायात के दबाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। एयर कनेक्टिविटी की पहल: उज्जैन के निकट एक एयरोड्रम के विकास और निकटतम इंदौर हवाई अड्डे से उज्जैन के लिए सीधी ट्रांसपोर्ट लिंकेज को मजबूत करने पर कार्य किया गया है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक सीधे उज्जैन आ सकें। रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण: उज्जैन रेलवे स्टेशन को अत्याधुनिक सुविधाओं (जैसे एस्केलेटर, लिफ्ट, विशाल वेटिंग हॉल) के साथ विश्व-स्तरीय स्टेशन में परिवर्तित करने का कार्य तेजी से हो रहा है।
शिप्रा शुद्धिकरण और पर्यावरण संरक्षण
सिंहस्थ की आत्मा शिप्रा नदी में निवास करती है। मुख्यमंत्री जी के कार्यकाल में शिप्रा नदी शुद्धिकरण योजना को प्राथमिकता दी गई है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs): नए और उन्नत क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स स्थापित किए गए हैं ताकि शहर का कोई भी दूषित जल सीधे शिप्रा में न मिले। त्रिवेणी घाट के जीर्णोद्धार के साथ 27 किलोमीटर लंबे नए घाटों का निर्माण किया जा रहा है, इन घाटों को धार्मिक महत्व के अनुरूप विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी के प्रचलित कार्य के तहत शहर की स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित आवरण बढ़ाने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करने की योजनाओं पर काम चल रहा हैं।
आवास एवं सुविधा विस्तार
सिंहस्थ क्षेत्र का स्थायी विकास योजना को महत्वपूर्ण योजना में शामिल किया गया है।मेला क्षेत्र के लिए केवल अस्थायी ढांचा नहीं, बल्कि उन सड़कों, पुलों और जल-विद्युत संरचनाओं को स्थायी रूप दिया जा रहा है, जो महापर्व के बाद भी उज्जैन के नागरिकों के लिए उपयोगी हों। आवास और धर्मशालाएं में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के ठहरने की क्षमता वाले स्थायी और अर्ध-स्थायी विश्राम गृहों का निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
उज्जैन के कायाकल्प की गाथा: निर्माण कार्यों का विवरण
सिंहस्थ 2028 को देखते हुए उज्जैन में पिछले दो वर्षों से वृहद् स्तर पर विकास और निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। ये कार्य न केवल यात्रियों की सुविधा पर केंद्रित हैं, बल्कि शहर के आधारभूत ढांचे को स्थायी मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं।
अब तक किए जा रहे निर्माण कार्यों की सूची (मुख्य पूर्ण/प्रस्तावित कार्य)
महाकाल लोक विस्तार परियोजना (द्वितीय चरण): महाकाल मंदिर परिसर के आसपास सौंदर्यीकरण और सुविधाओं का विकास। शिप्रा तटों का सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण: प्रमुख घाटों जैसे रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट आदि का जीर्णोद्धार। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत शहर की सड़कों का उन्नयन: प्रमुख मार्गों का चौड़ीकरण, लाइटिंग और साइनेज का सुधार। नया बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण: यात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए सुविधाओं का विस्तार। पेयजल और सीवरेज प्रबंधन परियोजना: सिंहस्थ के दौरान जल आपूर्ति और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए नई लाइनों का विस्तार। बायपास सड़कों का निर्माण: शहर के अंदर यातायात का दबाव कम करने के लिए बाहरी मार्गों का विकास। पचलित निर्माण कार्य (वर्तमान में प्रगति पर) सिंहस्थ क्षेत्र (मेला क्षेत्र) का विकास: 6-10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अस्थायी पुलों, सड़कों, बिजली और पानी की बुनियादी सुविधाओं की स्थापना का कार्य। ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का निर्माण: महाकाल मंदिर और प्रमुख अखाड़ों को जोड़ने वाले विशेष मार्गों का विकास। नदी शुद्धिकरण परियोजना: शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ रखने के लिए अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की स्थापना और अपग्रेडेशन। विश्राम गृहों एवं धर्मशालाओं का निर्माण: श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए स्थायी और अर्ध-स्थायी आवासों का निर्माण।
उज्जैन में 2 साल से हो रहे निर्माण कार्यों का विवरण
पिछले दो वर्षों में उज्जैन ने विकास की एक नई इबारत लिखी है। ‘महाकाल लोक’ के पहले चरण के भव्य लोकार्पण ने जहां विश्व को उज्जैन की ओर आकर्षित किया, वहीं इसके समानांतर कई महत्वपूर्ण कार्य लगातार जारी रहे हैं:
कनेक्टिविटी में सुधार: इंदौर-उज्जैन मार्ग, देवास-उज्जैन मार्ग, और आगर-उज्जैन मार्ग पर सड़कों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार और चौड़ीकरण किया गया है।
विद्युत अधोसंरचना का विस्तार: सिंहस्थ के दौरान निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए नए सब-स्टेशनों और ट्रांसमिशन लाइनों को मजबूत किया गया है।
स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार: सिंहस्थ के दौरान आकस्मिक चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में बिस्तरों की संख्या और उपकरणों को बढ़ाए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
पर्यटन सुविधाओं का विकास: रामघाट पर लेज़र शो का संचालन, त्रिवेणी संग्रहालय का आधुनिकीकरण और अन्य धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में उज्जैन के विकास की संकल्पना
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जो स्वयं उज्जैन से जुड़े हुए हैं, के नेतृत्व में सिंहस्थ 2028 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि “उज्जैन के वैश्विक उदय” की संकल्पना का प्रतीक बन रहा है।
मुख्य संकल्पना बिन्दु
विश्व-स्तरीय धार्मिक पर्यटन केंद्र: उज्जैन को वेटिकन सिटी या मक्का-मदीना की तर्ज पर एक ऐसा केंद्र बनाना जहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं, स्वच्छता और सुरक्षा हो।
पर्यावरण और संस्कृति का संरक्षण: शिप्रा नदी की पवित्रता को बहाल करना और उज्जैन की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों को आधुनिक तकनीक से संरक्षित करना।
स्थायी विकास: सिंहस्थ के दौरान बनाए गए आधारभूत ढांचे को स्थायी उपयोगिता देना, ताकि यह महापर्व के बाद भी शहर के नागरिकों के लिए लाभकारी सिद्ध हो।
रोजगार सृजन: सिंहस्थ से जुड़े विकास कार्यों और पर्यटन से स्थानीय लोगों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना।
डॉ. यादव का विज़न है कि सिंहस्थ 2028 में आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु और पर्यटक, उज्जैन की आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ यहाँ के अभूतपूर्व विकास, प्रबंधन और आतिथ्य की अमिट छाप लेकर जाए। इस वृहद् कार्य योजना के सफल क्रियान्वयन से निश्चित ही उज्जैन का आगामी सिंहस्थ महापर्व भारतीय इतिहास में एक अविस्मरणीय और ऐतिहासिक आयोजन सिद्ध होगा।
उज्जैन का वैश्विक विज़न
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की स्पष्ट संकल्पना है कि सिंहस्थ 2028, मध्य प्रदेश के “विकास का महाकुंभ” बने। उज्जैन को एक ऐसा आध्यात्मिक और आधुनिक शहर बनाने का लक्ष्य है, जहाँ तीर्थयात्री भारत की प्राचीनता और आधुनिक प्रशासन की दक्षता दोनों का अनुभव कर सकें। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि प्रबंधन, स्वच्छता, सुरक्षा और स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित करेगा।
डॉ. यादव के नेतृत्व में किया गया यह केंद्रित और त्वरित विकास कार्य स्पष्ट संकेत देता है कि उज्जैन का आगामी सिंहस्थ महापर्व वास्तव में ऐतिहासिक होगा, जो उज्जैन को उसके प्राचीन गौरव के अनुरूप विश्व पटल पर पुन: स्थापित करेगा।
