लोक अदालत ने राजीनामा कराकर परिवारों को टूटने से बचाया
उज्जैन : सोमवार, दिसम्बर 15, 2025, उज्जैन,15 दिसम्बर। “लोक अदालत विवाद के पक्षकारों को समझौते के आधार पर सहज एवं सुलभ न्याय दिलाने का सरल एवं निःशुल्क माध्यम है। लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण से पक्षकारों समय एवं धन की बचत होती है तथा आपसी भाईचारा एवं सद्भाव भी बना रहता है, उक्त बात शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला न्यायाधीश श्री पूरन चंद्र गुप्ता ने कही। जिला न्यायालय भवन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विशेष न्यायाधीश एवं संयोजक नेशनल लोक अदालत श्री अरविंद प्रताप सिंह चौहान, श्री संजीव कुमार गुप्ता प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय उज्जैन, श्री राकेश कुमार गोयल, अति. प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय, सर्वश्री न्यायाधीशगण श्री संजय श्रीवास्तव, विवेक कुमार चंदेल, श्री कपिल नारायण भारद्वाज, श्री अमित कुमार गुप्ता, श्रीमती मंजुल पाण्डेय, श्री संतोष सैनी, श्री पवन कुमार पटेल, श्री हेमंत सविता, श्री विकास चौहान, श्री अश्विन परमार, श्री मनोज कुमार भाटी, न्यायाधीश / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अन्य न्यायिक मजिस्ट्रेटगण, श्री ओम सारवान अध्यक्ष मण्डल अभिभाष संघ, पेनल लॉयर्स एवं अतिथिगण के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ कर समस्त पीठासीन अधिकारियों को नेशनल लोक अदालत में रखे गए प्रकरणों का अधिक से अधिक संख्या में निराकरण हेतु शुभकामनाएँ दी गई ।विगत शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में पिछली लोक अदालतों की अपेक्षा इस बार कई हजारों की संख्या में पक्षकारगण, आम नागरिक उपस्थित हुए एवं लांभावित हुए। विशेषकर पारिवारिक प्रकृति के विवादों के साथ-साथ क्लेम, विद्युत चोरी, बाउंस, आपराधिक एवं दीवानी प्रकरणों का काफी संख्या में निराकरण हुआ। पारिवारिक प्रकरणों में अनेक बिछड़े हुए परिवारों को मिलाया गया। मोटर दुर्घटना क्लेम प्रकरणों में पीड़ित व्यक्तियों को लाखों रूपए की क्षतिपूर्ति राशि के अवॉर्ड भी पारित हुए। नेशनल लोक अदालत में पक्षकारों को दी गई समझाईश के आधार पर लगभग 26 परिवार टूटने से बचें। दोनों पक्षों के चेहरों पर खुशियों लौटी, बच्चों को माता-पिता दोनों का प्यार मिलेगा।उज्जैन निवासी प्रियांशी का विवाह नरसिंहगण निवासी भगवत के साथ धूमधाम से हुआ था। भगवत का परिवार सोच वाला था। प्रियांशी के तीन पुत्रियां हुई। इस कारण ससुराल पक्ष ने प्रियांशी को पुत्र न पैदा करने के लिए कोसना शुरू कर दिया। सास बोलती थी तू तो बस बेटियां ही लाई जा रही है। हमारा वंश कैसे चलेगा और इस बात को लेकर सभी प्रियांशी से झगड़ने लगे। आखिरकार प्रियांशी 2024 में अपनी तीन बेटियों के साथ मायके चली आई। यहां माता-पिता ने सहारा दिया। लेकिन आर्थिक तंगी ने परेशान कर दिया। प्रियांशी ने परिवार न्यायालय में भरण-पोषण प्रकरण दर्ज कराया। भगवत ने इंकार किया, कहा कि प्रियांशी अपनी मर्जी से मायके चली गई है। सुनवाई चल रही थी, जब लोक अदालत का अवसर आया। लोक अदालत के सदस्यों ने दोनो पक्षों को बुलाया। उन्होंने प्रियांशी से कहा, बेटी, बेटियां भी तो वंश चलाती है। आज कल जमाना बदल गया है। भगवत को समझाया, पुत्र-पुत्री में भेदभाव न करें, परिवार एकजुट रहना चाहिए। लोक अदालत में काउंसलिंग के बाद दोनों पक्ष सहमत हो गए। भगवत ने वादा किया कि वह कभी पुत्र की चाह नहीं करेगा और सम्मान देगा। साथ ही भरण-पोषण भी करेगा। समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही प्रियांशी बेटियों के साथ ससुराल लौटी। लोक अदालतें ऐसे ही लाखों परिवारों को नई जिंदगी देती है।इस लोक अदालत में विद्युत अधिनियम संबंधी विशेष न्यायाधीश (शहरी क्षेत्र) श्री संजय श्रीवास्तव द्वारा 60 एवं विद्युत अधिनियम विशेष न्यायाधीश (ग्रामीण क्षेत्र) श्री संतोष सैनी द्वारा 52 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिनमें काफी प्रकरण 02 साल से अधिक अवधि से न्यायालय में लंबित थे।

